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Aaryan Chiram
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कुछ जानकारियां
मेरा जन्म स्थान कोदागाँव है जो कांकेर जिला के अंतर्गत आता है और जिला का 2 सबसे बड़ा गाँव है और मेरा बचपन गाँव में ही बिता, मेरे पिता जी का देहांत बचपन में ही हो गया है तो मेरा देख भाल माँ के द्वारा ही किया गया है, और मेरा प्राम्भिक पढाई लिखाई गाँव में ही हुआ कॉलेज कांकेर में हुआ और अभी भी पढाई हो ही रहा है, समाज के प्रति मेरा जिज्ञासा बचपन से ही रहा है, और मेरे घर में कोई सियान न होने के स्थिति में मै बचपन से ही सामाजिक मीटिंगों में भाग लेता था, जब मै लगभग 9 क्लास का स्टूडेंट था तब से सामाजिक मीटिंग अटेंड करते आ रहा हूँ और धीरे धीरे समाज के प्रति रूचि जागृत होते गया शुरू में केवल दिन में होने वाले सामाजिक मीटिंग और कार्यक्रमों में भाग लेता रहा फिर जैसे जैसे उम्र बढती गई रात वाले मीटिंगों में भी जाने लगा और उसके बाद समाज में उठना बैठना और समाज के गतिविधियों में कांफी दिलचस्पी बड गई थी और मुझे समाज में होने वाले हर गतिविधि का हिस्सा होना बहुत अच्छा लगता था और जब भी कोई समाज के बारे में बात करते थे बहुत ही धैर्य से और उत्सुकता से सुनते सुनते समाज को बहुत ही करीबी से जानने का मौका मिला और आज भी समाज के बारे में जानने को और समझने को हमेशा तैयार रहता हूँ इसी सिलसिले में मुझे जब पहली बार राजा राव पठार जिला धमतरी में आदिवासी कार्यक्रम हुआ तो मै भी अपने गाँव के लोगों के साथ में ट्रेक्टर से वीर मेला देखने पंहुचा और उत्साह से पुलकित होकर अपने दोस्तों के साथ में वीर मेले का आनंद ले रहे थे फिर मेरे जो दोस्त लोग थे वे अपने अपने समाज का पेन कॉपी पुस्तक सीडी कैसेट ले रहे थे मै भी लूँगा करके अपने मन ही मन सोचा और सभी पंडाल जंहा पर बुक और अन्य सामग्री बिक रही थी वंहा गया पर नही मिला,,,,,, दुसरे जगह गया वंहा भी नही मिला मुझे बहुत दुःख हुआ मै एक अबोध बालक था जब मुझे उस समय केवल अपने समाज का pen और कोपी और ध्वज चाहिए था पर नही मिला मै मन ही मन खुद को कोस रहा था इतने दिनों तक ये सोच रहा था की हमारा समाज इतना बड़ा समाज सब कुछ मिलता है,,,,,पर नही मिला मै अन्दर ही अन्दर सब को कोस रहा था और आत्मग्लानी से भर गया था अन्दर ही अन्दर खुद से बडबडा रहा था और ऐसे तैसे करके घर आया फिर माँ से कहा की मेरे दोस्त लोग ये ख़रीदे वो ख़रीदे मै कुछ नही ख़रीदा हमारे समाज का कुछ नही मिलता !वंहा समाज का कुछ नही मिला क्यों कोई कुछ नही बनाते?,,,,,,, बस समाज समाज कहते रहते है? माँ कुछ नही बोली उसी दिन मै ठान लिया की मै अपने समाज को आगे बधाऊंगा समाज के लिए वो सब बनाऊंगा, जो आज तक कोई नही बनाये है, मै भी अपने समाज को आगे बढ़ाने के लिए कर्तव्यबद्ध हो गया, और काम में लग गया की किस प्रकार से समाज को आगे बढाया जाए दिन बितते गया फिर मै सामाजिक कार्यो में अपना सहयोग देते गया, कास सभी हल्बा भाई बिना कोई सवार्थ के सामाजिक सेवा करते और सामाजिक जिम्मेदारी को समझने का प्रयास करते तो हमारा समाज भी बहुत विकसित होता और अन्य समाज के लिए प्रेरणा देने वाला होता पर वर्तमान परिस्थिति में टांग खीचने वाला अधिक और साथ देने वाला कम है, और कई बार तो ये बोल देते है बड़ा आया सामाजिक कार्यकर्ता बहुत देखे है ऐसे तोपचन्द या आज तक बड़े बड़े सियान लोग नही कर पाए तो कल के बेंदरा करही ये सब सुन कर पहले दुखी होता था पर अब नही अच्छा काम को हर कोई टोकता है, और अब तो कोई कुछ भी बोले समाज को आगे बढ़ाना ही है, और मै जब तक जिन्दा हूँ समाज के उन्नति और विकास के बारे में ही सोचूंगा ये ठान लिया ना मुझे समाज से पद चाहिए न पैसा न और कुछ मुझे अपने समाज को हर क्षेत्र में आगे लाना है यही मेरा उद्देश्य है और यही मेरा मंजिल कुछ छोटे कार्य जो मैंने किया है ऊपर आपलोग देखें होंगे और मै आप सभी से भी अपील करता हूँ की हमारे समाज को उन्नति के मार्ग में ले जाने में अपना अमूल्य योगदान देवे व सामाजिक मुद्दों पर निष्पक्ष राय देवें ,,,, व सभी के साथ न्याय करें व समाज का निःस्वार्थ भाव से सेवा करे कभी किसी का अहित न करें होने दें क्योकि अगर आप किसी का बुरा करोगे तो आपके साथ भी वही होगा!!!!!!! जय माँ दंतेश्वरी!!!!!!!!
2 Comments
Very good Sampadak mahoday Ji
ReplyDeleteजोहार
ReplyDeleteअपना विचार रखने के लिए धन्यवाद ! जय हल्बा जय माँ दंतेश्वरी !