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धनकुल लोक गीत पर परिचर्चा // Discussion on Dhankul folk song

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धनकुल लोकगीत मानव जीवन के मार्गदर्शी माध्यम हैं 
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14 नवंबर -: 
   छत्तीसगढ़ राज्य आदिम संस्कृति,कला एवं साहित्य संस्थान द्वारा धनकुल लोकगीत पर एक परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन कोरर में किया गया ।
   संस्थान के सचिव संदीप सलाम ने परिचर्चा में स्वागत भाषण देते हुए कार्यक्रम के उद्देश्य को बताते हुए कहा कि आदिम संस्कृति के विभिन्न विधा लगातार विलुप्ति के कगार पर हैं जिनको संरक्षित करके आने वाली पीढ़ी तक संवाहित करने तथा मानव जीवन में गीतों के महत्व को बताने के लिए यह आयोजन किया गया है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्थान के अध्यक्ष ललित नरेटी ने बताया कि आदिम समुदाय के समस्त ज्ञान वाचिक परंपरा से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित होते हैं, लिखित साहित्य का अभाव है, किन्तु वर्तमान समय में यदि हम अपने ज्ञान को लिखित नहीं रखेंगे तो वह विलुप्त हो जायेगा। ऐसा ही लोकगीत है धनकुल जिसका संरक्षण जरूरी है। यह गीत बांस से बने धनुष, सूपा तथा बांस की कमची और मिट्टी से बने हंडी का उपयोग करके गायी जाती है। ये गीत मानव जीवन के रहस्यों को उद्घाटित करते हुए जीवन मार्ग में चलने के लिए मार्रगदर्शी होते हैं।
   साहित्यकार डीएस बघेल ने धनकुल के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि गीत प्रकृति आराधना और उसके प्रति आभार के रुप में गाया जाता है। यह गीत गुरुमाय के अगुआई में गायी जाती है उनके सहायक गायिका को नान्ही माय और अन्य सहायकों को चेली कहा जाता है। 
     नारायणपुर से पहुंचे शोधार्थी भागेश्वर पात्र ने बताया कि पूर्णतः प्रकृति आधारित यह आदिम गीत विशेष अवसरों पर अलग-अलग गायी जाती है, इसके गायन के दौरान प्राकृतिक वाद्य यंत्र का ही उपयोग किया जाता है। साहित्यकार कृष्णपाल राणा ने हल्बी भाषा के महत्व को बताते हुए अधिक से अधिक सीखने पर जोर दिये। कार्यक्रम को हल्बा समाज के अध्यक्ष लखमू कोसमा, सर्व आदिवासी समाज के कार्यकारी अध्यक्ष मत्तेसिंह भुआर्य, शिवप्रसाद बघेल, खिलेश्वरी कोसमा ने भी धनकुल के विषय में अपनी बात रखी।
     धनकुल लोकगीत दल बांगाचार की गुरुमाय गीता मांझी और उनकी टीम के द्वारा धनकुल लोकगीत का गायन किया गया जिनके गायन से उपस्थित जनसमूह मंत्रमुग्ध हो गये, गायन के पश्चात् उसके महत्व व बारिकियों को शिवप्रसाद बघेल द्वारा बताया गया।
 कार्यक्रम का संचालन प्रवीण दुग्गा और आभार प्रदर्शन गौरव तेता ने किया। परिचर्चा में उपस्थित अतिथियों व धनकुल टीम व जंजालीपारा कोरर के ग्रामवासियों को संस्थान द्वारा मोमेंटो भेंट करके सम्मानित किया।
    धनकुल एक परिचर्चा कार्यक्रम में प्रमुख रुप से मुरहा राम राना, सुभिया कोलियारा, रेवा रावटे, खोरबाहरा गौर, उपेश्वर ठाकुर, रविप्रकाश कोर्राम, हरेश मड़काम, किशोर तेता, जुनऊ नुरुटी, कुबेर कोसमा, सुरेश भुआर्य, घासी बढ़ाई, पूरन नायक, ओसिमा कोसमा, भारती दर्रो, अंकिता नाग, गौकरण कोसमा, मनीष कोरेटी, टिनू नुरुटी सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

// लेखक // कवि // संपादक // प्रकाशक // सामाजिक कार्यकर्ता //

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