- दहेज़ प्रथा
- प्राचीन भारतीय समाज में दहेज-प्रथा के पीछे लालच और सौदेबाजी की भावना नहीं थी, जैसी आधुनिक समाज में प्रकट हो रही है । प्राचीन काल में भारत सब तरह से संपन्न था । (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); पितृसत्तात्मक-
- दहेज प्रथा क्या है –
- दहेज प्रथा को बढावा देने वाले कारक
- दहेज प्रथा से होने वाले शोषण
- कानून:
- दहेज़ प्रथा प्रकरण व मामले
- कितना दुरुपयोग?
- झूठे केस का सच
- निचली अदालतों में 498 के 3 करोड़ केस पेंडिंग
- घरेलू हिंसा के 98 फीसदी मामले झूठे
- उपसंहार (Epilogue) –
दहेज़ प्रथा
दोस्तों नमस्कार आज हम जिस प्रथा पर चर्चा करने वाले है उस प्रथा का नाम है दहेज़ प्रथा ,,नाम तो आपने सुने ही होंगे दहेज़ के कारण आय दिन लाखो घर तबाह हो रहे है इसमें जितने केस दर्ज होते है उतने में कई केस सही व कई केस झूठे साबित होते है दहेज़ प्रथा के बारे में जानने से पहले हम यह बात जान ले की दहेज़ लेना व देना दोनों अपराध की श्रेणी में आता है परन्तु वर्त्तमान में वधु पक्ष द्वारा दहेज़ प्रथा को फलीभूत किया जा रहा है अब मै ये क्यों कहा बहुत जल्द ही आपको पता चल जायेगा जैसा की मैं पहले ही कह चूका हू की दहेज़ लेना व देना दोनों भारतीय दंड संहिता के अनुसार अपराध की श्रेणी में आता है तो वर पक्ष किसी भी रूप में दहेज़ नही मंग सकता, अगर मांगता है तो उन्हें दंड हो सकती है सरकार यह नियम इसलिए बनाया हैप्राचीन भारतीय समाज में दहेज-प्रथा के पीछे लालच और सौदेबाजी की भावना नहीं थी, जैसी आधुनिक समाज में प्रकट हो रही है । प्राचीन काल में भारत सब तरह से संपन्न था । पितृसत्तात्मक-
दहेज प्रथा क्या है –
दहेज प्रथा को बढावा देने वाले कारक
दहेज प्रथा ने वर्तमान में एक महामारी का रुप ले लिया है, यह किसी आतंकवाद से कम नहीं है क्योंकि जब गरीब परिवार के माता पिता अपनी बेटी की शादी करने जाते है तो उनसे दहेज की मांग की जाती है और वह दहेज देने में असमर्थ होते है तो या तो वे आत्महत्या कर लेते है या फिर किसी जमींदार से दहेज के लिए रुपए उधार लेते है और जिंदगी भर उसका ब्याज चुकाते रहते है।
इसका विस्तार होने का कारण लोगों की दकियानूसी सोच है वह सोचते है कि अगर बेटे की शादी में दहेज नहीं मिला तो समाज में उनकी थू-थू होगी उनकी कोई इज्जत नहीं करेगा।
वह दहेज लेना अपना अधिकार समझने लगे है जिस कारण यह दहेज रूपी महामारी हर वर्ग में फैल गई है। अगर जल्द ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह मानव सभ्यता पर बहुत बड़ा कलंक होगा।
दहेज प्रथा से होने वाले शोषण
दहेज़ कम देने या नही देने के कारण कई बार वर पक्षो के द्वारा वधु को कई प्रकार की यातनाये दी जाती है और उनकी दैहिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित की जाती है जिससे कई बार तंग आकर वधु आत्महत्या जैसे कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाती है
कुछ राज्यों में तो दहेज प्रथा के लिए Rate List भी बना ली गई है
कुछ राज्यों में तो दहेज प्रथा के लिए Rate List भी बना ली गई है कुछ समय पहले राज्यों से खबर आई थी कि लड़के की शादी के लिए अभी दहेज की Rate List तय कर दी गई है।
– अगर कोई लड़का आईएएस अधिकारी है तो उसको साठ लाख से एक करोड़ का दहेज मिलेगा (इसमें जाति के प्रकार पर दहेज कम ज्यादा हो सकता है)।
– और अगर कोई लड़का IPS अधिकारी है तो उसको 30 लाख से 60 लाख तक का दहेज मिल सकता है।
– अगर कोई लड़का किसी कंपनी के उच्च पद पर है तो उसे 40 से 50 लाख रुपए की रकम दहेज में मिल सकती है।
– बैंक में काम करने वाले को 20 से 25 लाख और अगर कोई सरकारी Peon है तो वह भी 5 लाख तक का दहेज ले ही जाता है।
इस तरह की Rate List 21वीं सदी में आश्चर्य का विषय है। सोचने की बात तो यह है कि जिनको भी ज्यादा दहेज मिल रहा है वह उतने ही पढ़े-लिखे है लेकिन उनको दहेज लेने में कोई शर्म नहीं आती है। वह इतने बड़े-बड़े सरकारी पदों पर बैठे है लेकिन सरकार के कानून का उनको कोई भी खौफ नहीं है। हम यह नहीं कह रहे कि सभी सरकारी या प्राइवेट पद के लोग दहेज लेते है लेकिन कुछ लालची लोग ऐसे है जो कि दहेज लेने को अभिमान मानते है।
कानून:
- दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के अनुसार दहेज लेने, देने या इसके लेन-देन में सहयोग करने पर 5 वर्ष की कैद और 15,000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।
- दहेज के लिए उत्पीड़न करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए जो कि पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा सम्पत्ति अथवा कीमती वस्तुओं के लिए अवैधानिक मांग के मामले से संबंधित है, के अन्तर्गत 3 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है।
- धारा 406 के अन्तर्गत लड़की के पति और ससुराल वालों के लिए 3 साल की कैद अथवा जुर्माना या दोनों, यदि वे लड़की के स्त्रीधन को उसे सौंपने से मना करते हैं।
- यदि किसी लड़की की विवाह के सात साल के भीतर असामान्य परिस्थितियों में मौत होती है और यह साबित कर दिया जाता है कि मौत से पहले उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता था, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 304-बी के अन्तर्गत लड़की के पति और रिश्तेदारों को कम से कम सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
- दर्ज किया गया मामला
दहेज़ प्रथा प्रकरण व मामले |
|||||||
क्रमांक |
वर्ष |
कितने मामला |
स्थान/जिला/राज्य/क्षेत्र |
प्राप्त आकडे |
|
||
१ |
2002 से
मार्च 2003 तक |
150 से
अधिक |
बंगलौर |
80-100 प्रतिशत
जली हुई अवस्था में लड़कियों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया। |
|
||
२ |
2007 |
8,093 |
विभन्न राज्यों में |
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) |
|
||
३ |
2008 |
8,172 |
विभन्न राज्यों में |
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) |
|
||
४ |
2009 |
8,383 |
विभन्न राज्यों में |
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) |
|
||
५ |
2010 |
8,391 |
विभन्न राज्यों में |
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो(NCRB) |
|
||
६ |
201 |
8,618 |
विभन्न राज्यों में |
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो(NCRB) |
|
||
७ |
2012 |
8,233 |
विभन्न राज्यों में |
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो(NCRB) |
|
||
८ |
2013 |
10709 |
विभन्न राज्यों में |
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो(NCRB) |
|
||
९ |
2014 |
8,455 मामले |
पुरे भारत में |
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) |
|
||
१० |
2015 |
तीन साल का आकड़ा |
u.p |
बिहार |
म.प्र |
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) |
|
24,771 |
7,048 |
3,830 |
2,252 |
|
|||
११ |
2016 |
में 201 |
रोहतक जिले में |
(एनसीआरबी), |
|
||
१२ |
2017 |
275 केस |
रोहतक जिले में |
(एनसीआरबी), |
|
||
१३ |
2018 |
7.34 लाख |
पुरे भारत में |
(एनसीआरबी),
पीपुल अगेंस्ट अनइक्वल रूल्स यूज्ड टू शेल्टर हरेसमेंट |
|
||
१४ |
2019 |
1.62 लाख |
मध्यप्रदेश |
(एनसीआरबी),
पीपुल अगेंस्ट अनइक्वल रूल्स यूज्ड टू शेल्टर हरेसमेंट |
|
||
१५ |
2019 |
1532 केस |
इंदौर |
(एनसीआरबी), |
|
||
१६ |
2019 |
15 सौ
केस |
झारखण्ड |
|
|
- लोक सभा में महिला एवम बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने एक लिखित ब्योरा पेश किया
जिसमें 2012, 2013 और 2014 मे हुई महिलाओ की मौत का लेखा जोखा है। इसके मुताबिक पिछले तीन सालों में 8 लाख से भी ज्यादा मामले धारा 304 बी के तहत दर्ज हुए।
दहेज प्रथा के कारण हुई मौतों में उत्तर प्रदेश 7.048 सबसे आगे है वहीं बिहार 3.830 और मध्य प्रदेश 2.252 है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक 3.48 लाख मामले पति और उनके परिवार द्वारा घरेलू हिंसा के दर्ज हुए है। घरेलू हिंसा सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल(61,259) मे हुआ है इसके बाद क्रमश: राजस्थान (44,311) और आंध्र प्रदेश (34,835) का नंबर आता है।
- धारा 498ए विवाहिता स्त्री को दहेज क्रूरता से बचने के लिए सन् 1983 में लागू की गई थी।
- प्राप्त कानून का गलत फ़ायदा भी महिलाओ द्वारा उठाया जा रहा है जो अग्रलिखित रिपोर्ट दर्शाती है
इस धारा के दुरुपयोग का आलम यह है कि प्रदेश में दर्ज हर तीसरा-चौथा मुकदमा कोर्ट में झूठा साबित होता है। पुरुष अधिकारों के लिए कार्यरत संस्था ‘पौरुष’ इंदौर, राष्ट्रीय पुरुष आयोग समन्वय समिति दिल्ली और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार तीन वर्षों का रिकॉर्ड ही देखें तो सन् 2016 में देशभर में 6,39,267, 2017 में 6,81,339 और 2018 में 7,34,670 मामले प्रतिवर्ष दर्ज किए गए। मप्र में 2016 में 1,47,240, 2017 में 1,55,161 और 2018 में 1,62,720 मामले प्रतिवर्ष दर्ज हुए। वहीं इंदौर में 2016 में 1272, 2017 में 1473 और 2018 में 1584 मामले प्रतिवर्ष दर्ज किए गए।
कितना दुरुपयोग?
हालांकि, दुरुपयोग का शोर इतना जबरदस्त है, विधायिका और अब न्यायपालिका भी नहीं बची है. मगर आंकड़े कुछ और बताते हैं.
गृह राज्य मंत्री हरिभाई परथीभाई ने पिछले साल मई में एक सवाल के जवाब में राज्यसभा को बताया था कि महिलाओं के प्रति क्रूरता या प्रताड़ना से जुड़े नौ फ़ीसदी मामले या तो ग़लत थे या इनमें तथ्य की भूल रह गयी थी या ये क़ानून के मुताबिक खरे नहीं थे. (ध्यान रहे, ये सभी पूरे 9 फ़ीसदी मामले ग़लत नहीं हैं.)
हालांकि, उन्होंने साफ़-साफ़ कहा कि इस बात के कोई सीधे प्रमाण नहीं मिलते या ऐसा कोई अध्ययन नहीं है कि 498ए का देश में सबसे ज़्यादा दुरुपयोग होता है.
498-ए के तहत 2013 में 1,18,866, 2012 में 1,06,527 और 2011 में 99,135 मामले दर्ज हुए.
गृह राज्य मंत्री के मुताबिक पुलिस की जांच पड़ताल के बाद 2011 में 10,193, 2012 में 10,235, 2013 में 10,864 मामले या ग़लत मिले या जिनमें तथ्यों की कुछ ग़लतियां थीं या क़ानून के पैमाने पर फ़िट नहीं मिले.
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले में भी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े हैं.
एनसीआरबी के ताजा आंकड़े के मुताबिक 2015 में एक लाख 13 हजार 403 महिलाओं का 498ए के तहत मामला दर्ज हुआ है.
पिछले कुछ सालों के 498-ए के आंकड़े हम नीचे देख सकते हैं.
झूठे केस का सच
हमारे मुल्क में पुलिस की जांच पड़ताल कैसे होती है, हम सब जानते हैं. अगर मामला महिलाओं से जुड़ा है तब जांच पड़ताल कैसे की जाती है, यह भी बताने की बात नहीं है.
इसके बाद भी सरकारी आंकड़ा मानता है कि पति या उसके रिश्तेदार की क्रूरता के 91 फ़ीसदी से ज़्यादा आरोप पुलिस की पड़ताल में सही मिले हैं.
एनसीआरबी का एक ताज़ा आंकडा गौर करने लायक है.
2015 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सालों के बकाया मामलों को मिलाकर पुलिस ने 498-ए के तहत एक लाख 12 हजार 107 मामलों की पड़ताल की और 7458 मामलों में केस झूठ पाया.
यानी पुलिस ने 2015 में जितने मामले जांच किए उनमें से सिर्फ 6.65 झूठ पाए गए.
अगर इसमें उन 3314 मामलों को भी मिला लिया जाए जो झूठे नहीं थे, बल्कि जांच के दौरान इनमें तथ्यों की भूल मिली या कानूनी आधार पर पूरी तरह फ़िट नहीं पाए गए तब भी एक लाख एक हजार 335 मामले यानी लगभग 90.4 फीसदी आरोप पुलिस की जांच-पड़ताल में सही पाए गए.
निचली अदालतों में 498 के 3 करोड़ केस पेंडिंग
ज्यूडिशरी सिस्टम (न्याय-तंत्र) की बदहाली का आलम यह है कि एनजेडीजी (राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड) कि हालिया जारी रिपोर्ट के अनुसार देशभर की 17 हजार निचली अदालतों में धारा 498ए के अंतर्गत करीब 3 करोड़ मुकदमे लंबित हैं। देश की 25 हजार हाई कोर्ट में करीब 52 लाख और सुप्रीम कोर्ट में लंबित मुकदमों की संख्या 59500 है। इस मामले में राजस्थान हाई कोर्ट पहले तो मप्र हाई कोर्ट चौथे नंबर पर है। निचली अदालतों में करीब 156 केस 60 साल से अधिक पुराने हैं। उपरोक्त सभी अदालतों के मुकदमों के निपटारे में अनुमानत: 324 साल लग सकते हैं। ऐसे में प्रश्न यह है कि देश की आम जनता को आखिर न्याय कैसे मिले? मोदी सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के एजेंडा के साथ ‘सबको न्याय’ देने का सिलसिला आखिर कब शुरू होगा?
घरेलू हिंसा के 98 फीसदी मामले झूठे
विभिन्न अदालतों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार धारा 498ए के 95 प्रतिशत, घरेलू हिंसा के 98, भरण-पोषण के 81, चाइल्ड कस्टडी के 78, छेड़छाड़ के 86 और बलात्कार के 77 प्रतिशत मुकदमे झूठे होते हैं, जो महिला द्वारा बदले की भावना और बदनीयती से दर्ज कराए जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति अरिजित पसायत ने धारा 498ए को कानूनी आतंकवाद (लीगल टेररिज्म) की संज्ञा दी है।
3.30 मिनट में एक पुरुष कर रहा सुसाइड
संस्था ‘पौरुष’ इंदौर, राष्ट्रीय पुरुष आयोग समन्वय समिति दिल्ली एवं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार देशभर में धारा 498ए में झूठे मुकदमों के कारण हर साढ़े तीन मिनट में एक पुरुष द्वारा आत्महत्या की जा रही है, वहीं हर डेढ़ मिनट में एक पुरुष को स्त्री द्वारा झूठे केस में फंसाने की धमकी, प्रताड़ना और पुलिसिया धौंस का सामना करना पड़ रहा है।
उपसंहार (Epilogue) –
दहेज प्रथा में हंसते-खेलते परिवारों को उजाड़ दिया है। इसके कारण कई बहू बेटियों की जिंदगी खराब हो गई। दहेज प्रथा के कारण हमारे समाज के लोगों की सोच आज इतनी गिर गई है कि वह दहेज लेने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है।
और इसका उदाहरण आप आए दिन आने वाले समाचार और अखबारों में देख सकते है कि कैसे लोग दहेज के लिए अपनी बहुओं की हत्या कर देते है या फिर उनका इतना शोषण करते है कि वह खुद मजबूर हो सकती है आत्महत्या करने के लिए।
अब बहुत हुआ दहेज प्रथा के खिलाफ हमें आवाज उठानी होगी अगर आज हम ने आवाज नहीं उठाई तो कल हमारी ही बहन-बेटियां इसकी शिकार होंगे जिसके बाद आपको अफसोस होगा कि अगर हमने पहले ही इसके खिलाफ आवाज उठाली होती तो आज यह नहीं होता। हमें लोगों की पहचान उसकी सोच को बदलना होगा अगर हम उनका विरोध नहीं करेंगे तो कौन करेगा।
देकर दहेज खरीदा गया है अब दुल्हे को,
कही उसी के हाथो दुल्हन बिक न जाए।
चलो आज हम सब प्रण ले कि दहेज प्रथा नामक इस महामारी को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे। ना तो किसी को नहीं देंगे ना ही दहेज लेंगे।
wikipedia.org
vikaspedia.in
facebook.com/notes/vidhik-shiksha/
www.pravakta.com/
navbharattimes.indiatimes.com
www.youthkiawaaz.com
apanuchhati.blogspot.com
literature.awgp.org
www.essaysinhindi.com
hindibloggingtips.in
www.nayichetana.com
patrika.com
hindi.theindianwire.com
newswing.com
www.jansatta.com
aajtak.intoday.in
1 Comments
Log yah sub jante huye bhi apne harkat se baj Nahi Aate Aur to Aur Samaj bhi Is Kary Ke Liye protsahit karta hai tabhi to Dekhne Aur Sunne me aata hai Ki Amukh jagah per Dahej Ke Karan Ladkiyo Ko pratadit kiya ya Jinda Jala diya gaya ya Fir Shadi Tut gai Mai Puchhta Hun Ki Aise Darindo Ka Samaj Nahi hota kya? Jaha tak Mujhe Pata hai Ki Jo Kam Desh ka Kanun Nahi Kar Sakta Wah Kam Samaj Ker Sakta Hai Aise Logo Ki Kamar Tod Sakta Hai. Kya Aap bhi is bat se Sahmat Ho.
ReplyDeleteअपना विचार रखने के लिए धन्यवाद ! जय हल्बा जय माँ दंतेश्वरी !