Header Ads Widget

 हल्बा समाज एप

नया लेख

6/recent/ticker-posts

हिन्दू क्या है, कौन है, कैसे है, अर्थ परिभाषा और जानकारी? hindu kya hai, koun hai, kaise hai, arth, paribhasha or jankari

पोस्ट दृश्य

    हिन्दू क्या है

    हिन्दू क्या है, कौन है, कैसे है, अर्थ परिभाषा और जानकारी?  hindu kya hai, koun hai, kaise hai, arth, paribhasha or jankari हल्बा समाज, HALBA SAMAJ,
    मेरा भारत महान है।

    नमस्कार दोस्तों जैसा की मैं आप लोगों से पूछा था, की हिन्दू क्या है? हिन्दू धर्म क्या है? हिन्दू नियमावली क्या है ? इन्ही शब्दो को जानने के लिए मैंने विभिन्न माध्यमो से प्राप्त जानकारियों को आप लोगों के साथ साझा कर रहा हूँ जानकारी कैसे लगा जरूर बताये, हिन्दू सम्बंधित जानकारी अर्थ, परिभाषा और अन्य जानकारी आप पढ़ सकते है।।

    वास्तव में यह 

    हिन्दू शब्द भौगोलिक है।

     मुसलमानों को यह शब्द फ़ारसी अथवा ईरान से मिला था। फ़ारसी कोशों में 'हिन्द' और इससे व्युत्पन्न अनेक शब्द पाए जाते हैं। जैसे- हिन्दू, हिन्दी, हिन्दुवी, हिन्दुवानी, हिन्दूकुश, हिन्दसा, हिन्दसाँ, हिन्दबाना, हिन्दूएचर्ख, हिन्दमन्द आदि। इन शब्दों के अस्तित्व से स्पष्ट है कि 'हिन्द' शब्द मूलत:फ़ारसी है और इसका अर्थ भारतवर्ष है।भारत, फ़ारस (ईरान) का पड़ोसी देश था। इसलिए वहाँ इसके नाम का बहुत प्रयोग होना स्वाभाविक था। फ़ारसी में बल्ख नगर का नाम 'हिन्दवार', इसके पास के पर्वत का नाम हिन्दूकुश और भारतीय भाषा और संस्कृति के लिए 'हिन्दकी' शब्द मिलता है। इन शब्दों के प्रयोग से यह निष्कर्ष निकलता है कि फ़ारसी बोलने वाले लोग हिन्द(भारत) से भली-भाँति परिचित थे और वे हिन्दूकुश तक के प्रदेश को भारत का भाग समझते थे।स्वस्तिक Swastika हिन्दू शब्द का प्रयोग निस्सन्देह फ़ारस के पूर्व का देश भारत ही हिन्द था। अब प्रश्न यह है कि 'हिन्दू' शब्द फ़ारस वालों को कैसे मिला? फ़ारस के पूर्व सबसे पहले महत्त्वपूर्ण भौगोलिक अवरोध एवं दृश्य सिन्धु नदी और उसकी दक्षिण तथा वामवर्ती सहायक नदियों का जाल है। पूर्व से सिन्धु नदी में सीधे मिलने वाली तीन नदियाँ वितस्ता(झेलम), परुष्णी (रावी) और शतद्रु(सतलुज) (उपनदियोंके साथ) और पश्चिम से भी तीन सुवास्तु (स्वात),कुभा(काबुल) और गोमती(गोमल) हैं। इन छ: नदियों के साथ सिन्धु द्वारा सिंचित प्रदेश का नाम 'हफ्तहेन्दु' (सप्तसेन्धु) था। यह शब्द सबसे पहले 'जेन्दावस्ता' (छन्दावस्था) पारसी धर्म ग्रन्थ में मिलता है। फ़ारसी व्याकरण के अनुसार संस्कृतका 'स' अक्षर 'ह' में परिवर्तित हो जाता है। इसी कारण से सिन्धु, 'हिन्दू' हो गया। पहले 'हेन्दु' अथवा 'हिन्द' के रहने वाले 'हेन्दव' अथवा 'हिन्दू' कहलाये। धीरे-धीरे सम्पूर्ण भारत के लिए इसका प्रयोग होने लगा, क्योंकि भारत के पश्चिमोत्तर के देशों के साथ सम्पर्क का यही एकमात्र द्वार था। इसी प्रकार व्यापक रूप में भारत में रहने वाले लोगों का धर्म हिन्दू धर्म कहलाया। फ़ारसी भाषा में 'हिन्दू' शब्द के कुछ अन्य घृणा सूचक अर्थ भी पाये जाते हैं, यथा-डाकू, सेवक, दास, पहरेदार, काफ़िर (नास्तिक) आदि। ये अर्थ अवश्य ही जातीय द्वेष के परिणाम हैं। पश्चिमोत्तर सीमा के लोग प्राय: बराबर साहसी और लड़ाकू प्रवृत्ति के रहे हैं। अत: वे फ़ारस के आक्रामक, व्यापारी और यात्री सभी को कष्ट देते रहे होंगे। इसीलिए फ़ारस वाले उन्हें डाकू कहते थे और जब फ़ारस ने इस्लाम धर्म स्वीकार किया, तो नये जोश में उनको काफ़िर भी कहा। परन्तु जैसा कि पहले लिखा जा चुका है, 'हिन्दू' का तात्पर्य शुद्ध भौगोलिक था।

    कुछ हिन्दू भाई जिनकी हिन्दू धर्म के प्रति श्रद्धा भी असंदिग्ध है,

     ज्ञान और जानकारी के अभाव मे हिन्दू शब्द को मुसलमानी गाली समझने के कारण अपनी ही पहचान को बदलने की तथ्य परे वकालत करते हैं। मैं जानता हूँ कि ऐसा कहने वालो का तर्क यही है कि भारतीय वांगमय मे हिन्दू शब्द प्राप्त नहीं है और यह शब्द हमें मुसलमानों ने गाली के रूप मे उपहार दिया है और हिन्दू वस्तुतः आर्य है। परंतु दुर्भाग्यवश ऐसा कहने वालों मे अधिकतर वे सज्जन होते हैं जिन्होंने स्वयं न संस्कृत साहित्य का ही गूढ अदध्ययन किया और न ही व्याकरण का, ऐसे मे वेद शास्त्र दुर्धर हो जाना स्वाभाविक ही हो जाता है। . हिन्दू शब्द वास्तव मे कोई अरबी या फारसी गाली नहीं वरन वैदिक संस्कृत का व्याकरण के आधार पर ही लौकिक रूपान्तरण है और वस्तुतः वैदिक शब्द सिंधु से बना है। संस्कृत मे प्रत्येक शब्द की उत्पत्ति के पीछे एक विज्ञान है, जिसे शब्द व्युत्पत्ति कहते हैं। जैसे- "पत्नात त्रायते सा पत्नी" वैदिक व्याकरण मे शब्द उत्पत्ति का आधार ध्वनि विज्ञान (नाद विज्ञान) है, ध्वनि उत्पत्ति, उद्गम, आवृत्ति, ऊर्जा आदि के आधार पर ध्वनि परिवर्तन से समानार्थी व नए शब्दों की उत्पत्ति होती है, जैसे सरित(नदी) शब्द की उत्पत्ति हरित शब्द से हुई है।"हरितो न रह्यॉ"( अथर्ववेद 20.30.4) की व्याख्या मे निघंटु मे स्पष्ट है"सरितों हरितो भवन्ति"॥ वैदिक व्याकरण के संदर्भ में निघंटु का निर्देश (नियम) है कि "स" कई स्थानों पर "ह" ध्वनि में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रकार अन्य स्थानों मे भी "स" को "ह" व "ह" को "स" लिखा गया है। . सरस्वती को हरस्वती- "तं ममर्तुदुच्छुना हरस्वती" (ऋग. 2।23।6), श्री को ह्री- "ह्रीश्चते लक्ष्मीश्च पत्न्यौ" आदि-आदि॥ इसी प्रकार हिन्दू शब्द वैदिक सिंधु शब्द की उत्पत्ति है क्योंकि सिंधु शब्द से हिंदुओं का सम्बोधन विदेशी आरंभ नहीं है जैसा कि इतिहास मे बताने का प्रयास होता है वरन वैदिक सम्बोधन है।"नेता सिंधूनाम" (ऋग 7.5.2), "सिन्धोर्गभोसि विद्दुताम् पुष्पम्"(अथर्व 19.44.5) फारसी मे हिन्दू शब्द का अर्थ काफिर चोर कालान्तर में किया गया है, ऐसा नहीं कि हिन्दू फारसी का मूल शब्द इसी भाव में है। फारसी में "स" के स्थान पर "ह" प्रचलन में आ गया, संभवतः संस्कृत व्याकरण के उपरोक्त नियम ने फारसी में नियमित स्थान बना लिया होगा। भाषाविज्ञान जानने वाले लोग जानते हैं कि "इंडो-यूरोपियन" परिवार की सभी भाषाओं की उत्पत्ति संस्कृत से ही मानी जाती है अथवा संस्कृत के किसी पूर्व प्रारूप से! वास्तव में फारसी में हिन्दू का भ्रष्ट अर्थ घृणा के आधार पर काफी बाद में किया गया जैसे कि यहूदियों के लिए कुरान में कई जगह काफिर, दोज़ख़ी जैसे शब्द प्रयुक्त हुए हैं। फारसी मे हिन्दू शब्द का ऐसा ही अर्थ "गयास-उल-लुगत" शब्दकोश के रचनाकार मौलाना गयासुद्दीन की देन है। इसी तरह राम और देव जैसे संस्कृत शब्दों का अन्य शब्दकोशों मे एकदम उल्टा अर्थ लिखा है। राम का अर्थ कई स्थानों पर चोर भी किया गया है। क्या हमारे लिए राम के अर्थ बादल जाएंगे? हिन्दू शब्द मुसलमानों की अपमानपूर्ण देन है कहना नितांत अनभिज्ञता है, यह शब्द मुसलमान धर्म के आने से बहुत पहले से ही सम्मानपूर्ण तरीके से हमारे लिए प्रयोग होता रहा है। मुसलमानों से काफी समय पूर्व भारत आने वाले चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने यात्रा वृत्तान्त मे भारत के लिए हिंदुस्थान शब्द प्रयोग किया है। 

    प्राचीन शब्दकोशों 

    जैसे रामकोश, मेदिनीकोश, अद्भुतकोष, शब्दकल्पद्रुम मे भी हिन्दू शब्द प्राप्त होता है,- "हिन्दुहिन्दूश्च हिंदव:" (मेदिनी कोश) प्राचीन ग्रन्थ बृहस्पति आगम में हिन्दू शब्द को व्यापक अर्थ में हिमालय व इन्दु सागर (हिन्द महासागर) के परिक्षेत्र से परिभाषित किया गया है- हिमालयात् समारंभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्। तद्देव निर्मितम् देशम् हिंदुस्थानम् प्रचक्षते॥ अर्थात, उत्तर में हिमालय से आरम्भ कर के दक्षिण में इन्दु सागर (हिन्द महासागर) तक का जो क्षेत्र है उस देव निर्मित देश को हिंदुस्थान कहते हैं। . वास्तव में आर्य शब्द हिन्दू जाति का विशेषण है (जिसका अर्थ श्रेष्ठ होता है) और वेदों पुराणों में इसी अर्थ मे प्रयुक्त हुआ है, हिन्दू वीरों वीरांगनाओं ने भी स्वयं को आर्य-पुत्र या आर्य-पत्नी कह के संबोधित किया है आर्य नहीं। क्योंकि स्वयं के लिए विशेषण या सम्मानसूचक शब्द का प्रयोग भारतीय परंपरा नहीं रही है। अतः हिन्दू शब्द ही अधिक समीचीन व संगत है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है कि आज आर्य या हिन्दू शब्द की बहस के अनौचित्य को समझना क्योंकि आज हमें पढ़ाया जाने वाला मैकाले सोच का भ्रष्ट इतिहास भारतीय गौरव को शर्मसार करने के लिए प्रयासरत है॥ इस संकीर्ण प्रयास के प्रतिरोध में आज यह लेख समर्पित है। आज हिन्दू शब्द ही सम्पूर्ण विश्व में हमारी पहचान है, हमारे ज्ञान गौरव प्राचीनता और हमारी अमर संस्कृति की पहचान है..., "(लेख का आधार भारतीय धर्मग्रन्थ व स्व. माधव जी की पुस्तक क्यों द्वारा प्रदत्त जानकारी है)

    यह बहुत ही मजेदार बात होगी अगर आप ये जानेंगे कि हिंदू शब्द न ही द्रविडियन न ही संस्कृत भाषा का शब्द है. इस तरह से यह हिन्दी भाषा का शब्द तो बिल्कुल भी नही हुआ. मैंआप को बता दूँयह शब्द हमारे भारतवर्ष में 17वीं शताब्दीतक इस्तेमाल में नही था. अगर हम वास्तविक रूप से हिंदू शब्द की परिभाषा करें तो कह सकते है कि भारतीय (उपमहाद्वीप) में रहने वाले सभी हिंदू है चाहे वो किसी धर्म के हों. हिंदू शब्द धर्म निरपेक्ष शब्द है यह किसी धर्म से सम्बंधित नही है बल्कि यह एक भौगोलिक शब्द है. हिंदू शब्द संस्कृत भाषा के शब्द सिन्धु का ग़लत उच्चारणका नतीजा है जो कई हज़ार साल पहले पर्सियन वालों ने इस्तेमाल किया था. उनके उच्चारण में ‘स’ अक्षर का उच्चारण ‘ह’ होता थाहाँ….मैं, सलीम खान हिन्दू हूँ !!!हिंदू शब्द अपने आप में एक भौगोलिक पहचान लिए हुए है, यह सिन्धु नदी के पार रहने वाले लोगों के लिए इस्तेमाल किया गया था या शायेद इन्दुस नदी से घिरे स्थल पर रहने वालों के लिए इस्तेमाल किया गया था। Tumesh chiram   बहुत से इतिहास विद्दों का मानना है कि ‘हिंदू’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अरब्स द्वारा प्रयोग किया गया थामगर कुछ इतिहास विद्दों का यह भी मानना है कि यह पारसी थे जिन्होंने हिमालय के उत्तर पश्चिम रस्ते से भारत में आकर वहां के बाशिंदों के लिए इस्तेमाल किया था।धर्म और ग्रन्थ के शब्दकोष के वोल्यूम # 6,सन्दर्भ # 699 के अनुसार हिंदू शब्द का प्रादुर्भाव/प्रयोग भारतीय साहित्य या ग्रन्थों में मुसलमानों के भारत आने के बाद हुआ था।भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘द डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया’ में पेज नम्बर 74 और 75 पर लिखा है कि “the word Hindu can beearliest traced to a source a tantrik in 8th century and it was used initially to describe the people, it was never used to describe religion…” पंडित जवाहरलाल नेहरू के मुताबिक हिंदू शब्द तो बहुत बाद में प्रयोग में लाया गया। हिन्दुज्म शब्द कि उत्पत्ति हिंदू शब्द से हुई और यह शब्द सर्वप्रथम 19वीं सदी में अंग्रेज़ी साहित्कारों द्वारा यहाँ के बाशिंदों के धार्मिक विश्वास हेतु प्रयोग में लाया गया। नई शब्दकोष ब्रिटानिका के अनुसार, जिसके वोल्यूम# 20 सन्दर्भ # 581 में लिखा है कि भारत के बाशिंदों के धार्मिक विश्वास हेतु (ईसाई, जो धर्म परिवर्तन करके बने को छोड़ कर) हिन्दुज्म शब्द सर्वप्रथम अंग्रेज़ी साहित्यकारों द्वारा सन् 1830 में इस्ल्तेमल किया गया था इसी कारण भारत के कई विद्वानों और बुद्धिजीवियों का कहना है कि हिन्दुज्म शब्द के इस्तेमाल को धर्म के लिए प्रयोग करने के बजाये इसे सनातन या वैदिक धर्म कहना चाहिए. स्वामी विवेकानंद जैसे महान व्यक्ति का कहना है कि “यह वेदंटिस्ट धर्म” होना चाहिए.इस प्रकार भारत वर्ष में रहने वाले सभी बाशिंदे हिन्दू हैं, भौगोलिक रूप से! चाहे वो मैं हूँ या कोई अन्य.विवेकानन्द

             


    // लेखक // कवि // संपादक // प्रकाशक // सामाजिक कार्यकर्ता //

    email:-aaryanchiram@gmail.com

    Contect Nu.7999054095

    CEO & Founder

    Post a Comment

    0 Comments

    lt;!-- -->