बगरुन पाट देव
सभी गांव के सीमा में यह बगरुन पाट देव विराजित रहता है , और कहा जाता है यह देव एक प्रगणक के रूप में कार्य करता है या यू कहे एक पहरेदार, चौकीदार gate keeper , या सीमा सुरक्षा बल जिसे अंदर या बाहर जाने के लिए कुछ न कुछ देना आवश्यक होता है ,
यह प्रत्येक दिशा जंहा से होकर गांव में प्रवेश किया जाता है वँहा के सीमा पर रहता है।। जब मैं बहुत छोटा था तब अपने दादा दादी, माँ के साथ पोटगाँव, धनेलिकन्हार, कोरर, आदि का बाजार जाता था चूंकि मेरे गांव मेन रोड लगभग 2-3 किलोमीटर अंदर है तो मेन रोड तक पैदल जाना ही होता था, जब हम पैदल जाते थे तो बांकी बुजुर्ग (सियान लोग) कोई भी पेड़ के छोटे से पत्तेदार टहनी गांव के सियार जिसे बगरुन पाट कहते है वँहा रखते थे और कहते थे
"जौहार जौहार बगरुन पाठ बने बने आवंन बने बने जावंन" यह सब मुझे अजीब लगता था पर हम बहुत छोटा था तो उतना ज्यादा हम पूछ भी नही पाते थे उनके देखादेखी हम भी छोटे छोटे{(कालकुत)एक प्रकार का पौधा जिसे बाड़ी घेराव में काम आता है} के टहनियों को उसमे डालते थे व वापसी में भजिया या नड्डा जो भी अपने पास रहता थ
ा एकात डालते थे जब लगभग 8, 10 साल का हुआ तो माँ से पुछा ऐसा क्यो करते है करके तो उसने कहा था की यंहा कोई भी चीज चढ़ाने से वह देव हमारा रक्षा करता है तथा रास्ता जल्दी जल्दी कटता है ज्यादा थकावट नही लगता करके तो हम जब भी एक गांव से दूसरे गांव के सियार में पहुचने वाले रहते थे कंहा पर बगरुन पाठ है करके रट लगा देता था तांकि रास्ता जल्द कटे करके व दौड़ दौड़ के टहनी चढ़ाने जातेे थे
आज यायावर ही याद आ गया तो यह पोस्ट लिख डाला आप भी अपने गांव के सियार में बगरुन पाठ देव है या नही पता कर कमेंट कर बताये, हमारे तरफ आज भी बुजुुुर्ग लोग टहनी पत्थर डालते है, आपके तरफ किस नाम से जाना जाता है अवगत करवाये तब तक के लिए जय माँ दन्तेश्वरी
0 Comments
अपना विचार रखने के लिए धन्यवाद ! जय हल्बा जय माँ दंतेश्वरी !