कुर्वर क्यों बनाया जाता है
सभी प्रिय स्वजातीय
बंधुओ को मेरा सादर जय जोहार
आज के चर्चा का विषय
है रीतिरिवाज के अंतर्गत आज हम जिस बिंदु पर चर्चा करने वाले है वह बिंदु है
कुर्वर क्यों बनाया जाता है
यह प्रश्न हमारे एक भाई ने किया था की हमारे समाज में
शादी से पहले कुर्वर क्यों बनाया जाता है उसके पीछे का क्या उद्देश्य है ???
कुर्वर क्यों बनाया
जाता है? यह जानने से पहले यह जानना जरुरी है की आखिर यह कुरवर होता क्या है
कुर्वर शब्द कुर+वर शब्द से बना है कुर क्या होता है वह जानना जायदा जरुरी है आपने
कहते सूना होगा कुर बंधाने के बाद नदी पार नही करना है, पेड़ नही चड़ना है, गाँव से
बाहर नही जाना है आदि अब सोच रहे होंगे आंखिर यह कुर होता क्या है
कुर एक छत्तीसगढ़ी
शब्द है जिसका अर्थ है (नेंग) जिसे हिंदी में (नियम) कहते है कुर का एक और अर्थ है
अचार में डाला जाने वाला मसाला
कुर का अर्थ है
नेंग(नियम) कुर बन्ध गया मतलब नियम बन गया है अर्थात जब हम शादी के लिए किसी सामाजिक
जोशी के पास जाते है तो वह कुछ नियम हमे बताता है जैसे चुल किस दिशा में बनाना है
या किस दिषा में रहकर कुर्वर बनाना है बारात निकलने से पहले क्या पि कर निकलना है
या ढेड़हा ढेड़हिन कौन रहेगा आदि तो जो जोशी यह सब बताता है उसके पास लगभग ३ बार
जाना होता है 1 शादी के तिथि के लिए 2 चुल और कुर बाँधने के लिए ३ लगिन के लिए
जब हम दूसरी बार जाते
है तो दुल्हे के द्वारा कुटाया गया सिघ चावल लेकर जाते है जिसको पूजा पाठ करने के
बाद जोशी वापस करता है जिसका आधे चावल को आटा बनाया जाता है और आधे का चावल ही
रहता है जिस दिन मडवा रहता है उसी दिन उसी सिघ चावल को एक नये हांड़ी में पकाया
जाता है जिसे दुल्हे द्वारा ३,५,या ७ लड्डू बनाकर सुखोया जाता है वा पापड़ भी ३,५,या
७, बनाया जाता है जिसे कुर्वर पारना कहा जाता है
कुरवर दो शब्दों से मिलकर बना है
कुर+वर अर्थात दुल्हे के द्वारा किया गया नियम को कुर्वर कहते है| यह कुर्वर क्यों
किया जाता है कुर्वर का नियम करने के पीछे तर्क है की कोई भी शुभ कार्य किया जाता
है तो अपने देवी देवता या पाठ पुरखा के लिए पहले भोग लगाना या निकलना अर्थात सिघ
बर्तन में बना सिघ भोजन अपने पूर्वजो को अर्पण करना ही कुर्वर बनाना होता
है,,अर्थात कुर्वर में वर द्वारा अपने पूर्वजो के नाम से या देवी देवता के नाम से
३,५,७,या 9 लड्डू व् ३,५,७,या 9,पापड़ बनाया जाता है
उसके बाद ही बांकी नियम किया
जाता है कुर्वर के परते तक दूल्हा उपवास रहता है कोइ चीज नही खा सकता कुर्वर के
पश्चात ही भोजन करता है| वा कुर्वर के दिन बने चावल के लड्डू और पापड़ को वर पक्ष
के टिकावन के दिन सभी परिवार वाले फोड़ कर एक साथ बैठकर खाते है उसमे दुल्हे के गोतियार
भाई भी सम्मिलित होता है| कुर बांधने के बाद क्यों गाँव से बाहर घुमने नही दिया
जाता,,या नदी तालाब ,,पेड़ वगेरा चड़ने व औजार से दूर रहने क्यों कहा जाता है उसके
पीछे का तर्क यह है की पहले नदियों में पुल वगैरा नही रहता था
तो कई बार अप्रिय
घटना घट जाता था नदी नालो तालाबो पेड़ो पर इसलिए यह सब करने से मना करते है,, सब के
साथ वह हो जरुरी नही है पर किसी के साथ न हो इसलिए सावधानी भी जरुरी है ए ठीक उसी
प्रकार है जिस प्रकार गाढ़ी चलाने से एक्सीडेंट होता है तो कई लोग मर जाते है तो
उससे सुरक्षा के लिए बोलते है
न हेलमेट पहनकर चलिए बस इसे भी हेलमेट समझ लीजिये
आपको मेरे द्वारा दी गई जानकारी कैसा लगा बताना न भूले जय मा दंतेश्वरी
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अपना विचार रखने के लिए धन्यवाद ! जय हल्बा जय माँ दंतेश्वरी !