धनकुल (जगार)के बारे में
प्रिय
स्वजातीय सामाजिक बंधुओ आप लोगों से जैसे चर्चाय हुई जिसमें प्रश्नों में पूछा गया की हमारे हल्बा जनजाति का लोक गीत क्या है?? पर लगभग 10300 सदस्यों में केवल 1 या दो सदस्य ही सही उत्तर दिए यह बहुत ही अपसोस की बात है कि हम बड़े बड़े शिक्षा और संस्कृति की बात करते है पर हमें खुद की संस्कृति का चंद बाते भी नही पता इसलिए हमें अपनी संस्कृति की खोज पहले की जानी चाहिए नही तो हमें हमारी आने वाली पीढ़ी पूछेगी और हम बस मुह ताकते रह जायेंगे जैसे की हमारे कुटुंब ग्रुप में कई बार कुछ-कुछ छोटी छोटी प्रश्न पूछी जाती है और उसका उत्तर हम नही दे पाते यह सब हमारे लिए अपसोस की बात है
की हमे अपने संस्क्रती की जानकारी बहुत ही कम है और आधे से जयादा लोगो को ए लगता है की इसको जानने लायक कोई बात नही है और आधे से अधिक लोग इन सभी संस्कृति को फालतू समझते है और जो लोग थोडा बहुत जानते है उनका कोई सुनने वाला नही है खोजने से सब मिलता है बस खोजने वाला और उनका उत्साहवर्धन करने वाला होनी चाहिए,,,, तो चलो बात करते है हमारी लोक गीत धनकुल की तो धनकुल मुख्यतः हल्बी भतरी छत्तीसगढ़ी में गायी जाने वाला गीत है|
इसे जगार के नाम से भी जाना जाता है “जगार” का शाब्दिक अर्थ है “जागरण” करना या “जग”"जगाना" (“यज्ञ” करना)आदि , धनकुल नाम पड़ने के पीछे का कारण यह है की इस गीत को गाने में प्रयोग में लाये जाने वाले धनुष हांड़ी सुपा छिर्री से इनका नाम धनकुल पढ़ा है धनुष से "धन" और प्रयोग में लाई जाने वाली सुपा को उड़िया में कुला कहा जाता है दोनों को एक साथ करने पर धनकुला जो अपभ्रश होकर धनकुल हो गई ,यह एक मौखिक एव अलिखित महाकाव्य है, परन्तु वर्तमान में यह विलुप्त हो रही है इसलिए इसे लिखकर संरक्षित करने हेतु कई प्रयास किये जा रहे है , यह कथात्मक और अकथात्मक दोनों प्रकार का होता है कथात्मक में जो गीत होती है उनका कथा या कहानी होती है| जबकि अकथात्मक एक मनोरंजन के लिए बनाया गया एक छोटा सा गीत होता है, इसे चाखना गीत भी कहते है इसका भी दो भाग होता है जिसे क्रमशः सादा चाखना और देव चाखना के नाम से जानना ,सादा चाखना गीत मनोरंजन के लिए होता है जबकि देव चाखना में किसी देवी देवता की स्तुति होती है ,
कथात्मक धनकुल का मुख्यतः चार प्रकार है
1 तीजा धनकुल2 बाली धनकुल
3 आठे धनकुल
4 लक्ष्मी धनकुल
1 तीजा धनकुल तीजा के अवसर पर आयोजित की जाती है यह आयोजन हरितिका के अवसर सामूहिक अथवा व्यक्तिगत तौर पर की जाती है
2. बाली धनकुल मुख्यतः गाँव के मुखिया पुजारी या सामूहिक रूप से होता है क्योकि इसमें अधिक खर्च आता है और यह 93 दिनों तक चलता है
3. आठे धनकुल यह कृष्णा जन्माष्टमी के दिन आयोजित की जाती है यह आयोजन सामूहिक अथवा व्यक्तिगत हो सकता है
4. लक्ष्मी धनकुल यह धनकुल धान कटाई कर घर लाने के बाद आयोजित की जाति है यह आयोजन सामहिक अथवा व्यक्तिगत होता है
कथात्मक धनकुल 4 प्रकार के होता है जिसमे से तीजा, आठे, लक्ष्मी,
धनकुल का आयोजन व्यक्तिगत तौर पर किया जा सकता है पर बाली धनकुल का आयोजन सामूहिक ही होता है क्योकि इस धनकुल के आयोजन में खर्च अधिक होता है | धनकुल के गायिकाओ को गुरुमाये से संबोधित किया जाता है| वा इनके आयोजन से सम्बंधित कुछ औपचारिकता व निमंत्रण आदि की जाती है |
धनकुल में प्रयोग होने वाले वाद्ययंत्र को धनकुल वाद्य यंत्र कहा जाता है उनका समायोजन कुछ इस प्रकार से होता है दो हाड़ीयां जिसे घुमरा हाडियाँ कहा जाता है उसे गुडरी {(आंयरा )पैरा के पुआल से बनी} के ऊपर तिरछी रखी जाती है उसके मुह पर सुपा(ढाकन सुपा)रखा जाता है सुपा के ऊपर धनुष जिसे धनकुल डांडी के नाम से जाना जाटा है रखा जाता है
जिस पर कंघा की भांति खांच बने होते है
उसे बांये पैर में बैठकर जांघ के सहारे दबा कर रखते है वा दाहिने हाँथ के छिर्री से उस बांस के धनुष के साथ घर्षण करवाने से एक मधुर संगीत सुनाई पड़ती है | लक्ष्मी धनकुल में 49 हजार पद ,तीजा धनकुल में 24 हजार पद, आठे धनकुल में 44 हजार पद, वा आठे के 8 हजार पद होती है जो गुरु माएं होती है उन्हें यह सभी कंठस्थ होती है क्योकि यह अलिखित महाकाव्य है हमारे समाज के एक धनकुल गायिका है सुमिन बाई बिसेन जिस पर धनकुल नामक पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है जिनके लेखक बस्तर के जाने माने धनकुल शोधकर्ता लेखक वा कवी हरिहर वैष्णव जी ने लिखे है वा जिसका प्रकाशन छत्तीसगढ़ राज्य हिंदी ग्रथ अकादमी रायपुर द्वारा किया गया है ,,,,वा हरिहर हरिहर वैष्णव जी द्वारा लिखा गया धनकुल पर कई बुक आपको कांकेर में वा ऑनलाइन वेबसाइट में उपलब्ध हो पायेगी ,आप नीचे दिए लिंक से वीडियो भी देख सकते है
,,मेरे द्वारा दी गई जानकारी कैसा लगा बताना न भूले
सन्दर्भ
खबरची वेब साईटछत्तीसगढ़ी गीत संगीत वेब साईट
स्नेपिडिया वेबसाइट
0 Comments
अपना विचार रखने के लिए धन्यवाद ! जय हल्बा जय माँ दंतेश्वरी !