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सामाजिक पहल samajik pahal

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    समाजिक पहल

    हल्बा युवा क्रांति

    यह हल्बा युवा क्रांति संगठन पुर्व लिखित उद्देष्यों को मुख्य रूप से ध्यान में रखकर तैयार किया गया हैं। यह पहल छोटे रूप से षुरूआत किया गया हैं। किन्तु यह पहल का उद्देष्य बहुत ही बडें स्तर का हैं। क्योकि किसी भी कार्य को एक छोटे से स्तर, स्थान एंव पहले एक दो व्यक्ति ही षुरूआत करतें हैं। इसका पुरा इतिहास गवाह हैं। ठीक उसी प्रकार
    ”हल्बा युवा क्रांति संगठन“ का पहल करना भी छोटे स्तर पर किया गया हैं। पर यह सोच एक दिन सभी हल्बाओं को एक सुत्र में पिरोयेगा। इस बात पर कोई संदेह नही कर सकता कि हम अगर सच्चे लगन एंवम कडी परिश्रम करें, तों यह संगठन हल्बाओं के लिए प्रेरणा का प्रतीक बन जायेगा। और बनेगा ही, यैसा मेंरा विष्वास हैं। इस पहल कों सफल बनाने के लिए मैं अपना तन मन धन सब समर्पित कर दिया हुँ। मैं, पुर्ण दृढ संकल्प लेकर यह पहल किया हुँ। चाहें कोई हंसे या कोई कुछ भी बोले इस पहल को पुरा करना ही मेंरा प्रथम कार्य हैं। मेंरे को आप सभी का सहयोग चाहिए, और मै जानता हूँ। आप ये सहयोग जरूर करेंगंे, हम युवाओं को इक्ट्ठा होकर, हमारे षक्ति के बारें में सब को बताना हैं। तथा षक्ति का सही दिषा में प्रयोग करना हैं। दोस्तो मैं बताना चाहंूगा। कि अगर हम यह सोचे कि यह कार्य समाज के बुजूर्गो का है। तो यैसा सोचना हमारी सबसे बडी भुुल हैं। क्योकि अब जो भी करनी हैं। हमें ही करनी हैं, और किसी को नहीं, हम आज यह षपथ ले कि हम हमारें समाज को हर क्षेत्र में आगें लेकर आयेंगे जैसे षिक्षा, सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, इंटरनेट, सांस्कृतिक आदि.. क्षेत्र में हम आगे लायेगें, यह प्रण सभी हल्बा युवाओं का होना चाहिए। यह हमारा पहला पहल हैं। और इस पहला पहल को पुर्ण धैर्य एवम् जिम्मेदारी, जोष के साथ करना हैंे। इसमें आप सभी का सहयोग महत्वपुर्ण हैं। Tumesh chiram   यह कार्य मै अकेला करूं तो करीब 10 साल लग ही जायेगा अगर आप लोगों का सहयोग हो तो यह कार्य 1 महिने भी हो जायेगा। इसलिए इस कार्य को छोटे-छोटे टुकडे में तोडकर कर रहें हैं। जिससे सभी को समान कार्य मिलेगा तथा कार्य का परिणाम काफी अच्छी और संतोशप्रद होगा। बषर्ते सभी खुद की जिम्मेदारी समझकर करें या कर्Ÿाव्य समझकर करें। मै यह नही कहता कि आप केवल समाज का कार्य करें मै यह कहता हुँ। कम से कम एक दिन का 2 घंटे समाज के लिए दे। मै जानता हुं, कि कहना आसान हैं। पर करना कठिन पर यह भी सही हैं। कठिन हैं,पर नामुमकिन नहीं,कहतें हैं न, कि संगठन में षक्ति होता हैं। मै, भी मानता हूँ। इसीलिए इस कार्य को करने के लिए संगठन की बहुत जरूरत पड रही हैं। अगर हम सभी अपना कार्य समझकर करें तो यह जो उद्देष्य तय किया गया हैं। उस लक्ष्य को बहुत जल्दी प्राप्त कर सकेगें।

    // लेखक // कवि // संपादक // प्रकाशक // सामाजिक कार्यकर्ता //

    email:-aaryanchiram@gmail.com

    Contect Nu.7999054095

    CEO & Founder

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