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कांकेर के बारे में about kanker

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    • कांकेर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ


    • 1- जिले की स्थापना का दिनांक व वर्ष - 25 मई 1998
    • 2- जिला मुख्यालय का नाम - कांकेर 
    •  3- जिले का भौगोलिक क्षेत्र फल वर्ग कि.मी. में - 6432 वर्ग कि.मी. 
    •  4- वन क्षेत्र वर्ग कि.मी. में - 1863 वर्ग कि.मी. 
    •  5- अक्षांश - 20˚-16'-47'' उत्तर 
    •  6- देशांश - 81˚-20'-17''पश्चिम 
    •  7- औसत वार्षिक वर्षा मी.मी. में - 1539.9 मी.मी. 
    •  8- तापमान उच्चतम/ न्युनतम - 47˚/24˚ 
    •  9- प्रमुख रेलवे स्टेशन - नहीं 
    •  10- प्रमुख एयर पोर्ट - नहीं 
    •  11- जिला मुख्यालय का एस.टी.डी कोड - 07868 
    •  12- जिले की बाहरी सीमाएं - जिला दूर्ग, जिला बस्तर, जिला धमतरी, जिला नारायणपुर, जिला राजनांदगांव, महाराष्ट्र राज्य 
    • 13- लोक सभा क्षेत्र - क्रमांक 11 कांकेर 
    •  14- विधान सभा क्षेत्र -क्रमांक 79 अंतागढ,80 भानुप्रतापपुर,81 कांकेर 
    • 15- विकास खण्डों की संख्या एवं नाम- 07 कांकेर,भानुप्रतापपुर,नरहरपुर, चारामा, अंतागढ़, कोयलीबेड़ा, दुर्गूकोन्दल 
    •  16- ग्राम पंचायतों की संख्या - 386 
    •  17- आबाद गांव की संख्या - 1078 
    •  18- वन ग्रामों की संख्या - 09 
    •  19- नगरीय निकायों की संख्या - 05 1- नगर निगम - नहीं 2- नगर पालिका - कांकेर 3- नगर पंचायत - चारामा, भानुप्रतापपुर, पखांजुर, अंतागढ,नरहरपुर
    •  20- जिले की कुल जनसंख्या(2001 की स्थिति में) - 6,50,934 

    •  1- पुरूष - 3,24,636 

    •  2- महिला - 3,26,298 

    •  3- अनुसूचित जाति - 27,663 

    •  4- अनुसूचित जनजाति - 3,65,031 

    •  21- साक्षरता -72.93 प्रतिशत 
    •  1- पुरूष - 2,23,779 - 82.72 प्रतिशत 
    •  2- महिला - 1,73,018 - 63.25 प्रतिशत 

    •  22- जिले की प्रमुख जनजातियां - गोंड, हल्बा 

    •  23- जिले में प्रचलित भाषा/ बोलियां - गोंडी, हल्बी, छत्तीसगढ़ी 
    •  24- कृषि भुमि क्षेत्रफल - 2,80,000 हे. 
    •  1- रबी - 43,000 हे. 
    •  2- खरीफ - 2,31,000 हे. 
    •  3- जायद - 6,000 हे.

    •  25- प्रमुख फसलें - धान, मक्का, मुंग, उडद 


    •  26- सिचाई क्षमता - 32,000 हे. 

    •  27- प्रमुख सिचाई परियोजना के नाम - परलकोट जलाशय पखांजूर, मयाना जलाशय चारामा, दुधावा जलाशय नरहरपुर, 

    •  28- प्रमुख नदी/ पर्वत/ जलप्रपात - 1- नदियां - महानदी, दूधनदी, टुरीनदी, हटकुलनदी, सेंन्दूरनदी, कोटरी नदी, पैरीनदी, चिनारनदी, नैनी नदी, खण्डी नदी, कोरकोटी नदी 2- पर्वत - गढीया पहाड कांकेर, गढबांसला भानुपुतापपरु, रानी डोंगरी चारामा 3- जलप्रपात - मलाजकुडुम कांकेर, चर्रेमर्रे अंतागढ़, कन्हारगांव भानुप्रतापपुर, रावबेडा 

    •  29- प्रमुख अभ्यारण्य राष्ट्रीय उद्यान - नहीं 


    •  30- प्रमुख दर्शनीय स्थल (पुरातात्विक-ऐतिहासिक-धार्मिक)- 


    •  कांकेर -

    • मलाजकुडु, गढीयापहाड, जोगीगुफा, नाथीयानवागांव, सोनईरूपई तालाब खमढोडगी, सिंहवाहिनी मंदिर, राजमहल कांकेर, ठाकुर विश्राम सिंह उद्यान, दढीया तालाब, ईशानवन, जंगलवार फेयर कॉलेज, देवरी, सरंगपाल, मनकेसरी बांध 

    •  नरहरपुर -

    •  दुधावाजलाशय, देवीनवागांव, थानाबोडी 


    •  भानुप्रतापपुर - 

    •  गढबांसला का मंदिर, कन्हारगांव जलप्रपात, हाहालद्दी मंदिर, रावबेडा जलप्रपात तरांदुल घाट, सोनादई, 


    •  अंतागढ़ -

    •  चर्रेमर्रे, रावघाट, रावघाट मंदिर, पिंजोडी घांटी, मातला घाट, उसेली घाट, मलांजकुडुम 


    •  चारामा -

    •  मयाना जलाशय, गांडागौरी, गोटी टोला गुफा, रानी डोंगरी आंवरी, उडकुडा कर्कऋषी पर्वत, 

    • कोयलीबेड़ा -

    •  परलकोट जलाशय, 

    •  दुर्गूकोन्दल -

    •  इुन्दूलघाट, खण्डी घाट 


    •  31-संस्कृति संगीत - 

    •  करमा, ददरीया, रैला नृत्य - सुआ, गवंर, करमा, रैला, मांदरी, हुलकी, गेड़ी नाटय - नाचा गम्मत महोत्सव - गढिया महोत्सव त्योहार/पर्व - चुकी-पोरा, नवा खाई, रंगपंचमी, देवारी, ठाकुर जुहानी, आमाजुगानी, नवाई, हरेली, चैतराई, तिजा 

    •  32-प्रमुख शैक्षणिक संस्थान -

    • कस्तूरबा गांधी बालिका आश्रम अंतागढ, आदर्श एक्लव्य आवासी बालक विद्यालय अंतागढ़, आदिवासी कन्या क्रीडा परिसर कांकेर, आदिवासी कन्या आदर्श कन्या आश्रम सिंगारभाट कांकेर, जवाहर नवोदय विद्यालय गोविन्दपुर कांकेर, केन्द्रीय विद्यालय नरहरदेव शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कांकेर, महिला आइ.टी.आई.कांकेर-पखांजूर, बालक आई.टी.आई, कांकेर, भानुप्रतापदेव कॉलेज कांकेर, इन्दरूकेंवट कन्या महाविद्यालय कांकेर, शहीद गैंद सिंह महाविद्यालय चारामा, शासकीय महाविद्यालय अंतागढ़, शासकीय महाविद्यालय भानुप्रतापपुर, शासकीय महाविद्यालय पखांजूर, 


    •  33- प्रमुख खनिज- सोप स्टोप, लोह अयस्क, बाक्साईट, 


    •  34- प्रमुख वनोपज - बांस, तेन्दुपत्ता, गोन्द, हर्रा, बहेडा, महुआ, आवंला, चिरायता, धवईफुल, कोसा, चिरोंजी, मरोटफल्ली, सतावर, तिखुर, बैचान्दी, सर्पगन्धा, सफेदमुसली, फुलबाहरी, सिहाडी पत्ता, शहद, लाख 35- हस्तशिल्प - निरंक 

    •  36- प्रमुख उद्योग - निरंक 

    •  37- जिले की एतिहासिक 

    • सांस्कृतिक सामाजिक एवं अन्य विशेषताएं- तात्कालीन बस्तर जिले से विकास खण्ड, कांकेर, चारामा, भानुप्रतापपुर, नरहरपुर, कोयलीबेड़ा और दुर्गूकोन्दल, अंतागढ़, को अलग करके 25 मई 1998 को उत्तर बस्तर कांकेर जिले का गठन किया गया। कांकेर का इतिहास पाषाण युग से शुरू होता है। रामायण और महाभारत में दण्डकारण्य नामक घने जंगल युक्त क्षेत्र का नाम आता है। जिसमें कांकेर भी शामिल था। मिथकों के अनुसार कांकेर भिक्षुओं और ऋषियों की भूमि थी। ऋषियों का एक समुह जिसमें कंकऋषि, लोमेश ऋषि, श्रींगीऋषि, अंगीराऋषि आदि शामिल थे, यहां निवास करतें थे। छटे शताब्दी ईसा पूर्व यह क्षेत्र बौध्द धर्म से प्रभावित था। कांकेर के इतिहास के अनुसार यह राज्य हमेशा स्वतंत्र रहा। कांकेर राज्य सातवाहन वंश के अधिन था ओर यहां का राजा सतकर्णी था। इसके बाद यहां नाग और वाकाटाक वंश ने भी राज्य किया। इसके बाद यहां नलवंश के वयाघ्रराज ने भी राज्य किया। इसके बाद भावदत्त वर्मा कांकेर के राजा बनें। वयाघ्रराज के बाद 475 ई. में स्कन्द वर्मा कांकेर के राजा बने। और 500 ईं तक कुशल्ता पूर्वक राज्य किया। उसकी मौत के बाद कांकेर राज्य को अनेक हमलों का सामना करना पड़ा और यह कई भागों में विभाजित हुआ। नल राजाओं के पतन के बाद चालुक्य वंश के पुलकेशियन द्वितीय, विक्रामादित्य, विक्रमादित्य द्वितिय विन्यादित्य, किर्ति वर्मन, ने 788 ई तक राज्य किया। इसके बाद 1125 में कलचुरियों से राजसिंह नामक बहादुर व्यक्ति ने कांकेर राज्य जीता और सोम वंश की नीव रखी और 1140 तक राज्य किया। इसके बाद कांकेर में राज्य सत्ता कल्चुरियों के अधिन रही। सोम वंश के भूप देव ने फिर से कांकेर में अपनी सत्ता स्थापित की। उसके दो पुत्र कर्णराज और सोमराज थे। कर्णराज ने 1206 तक कांकेर में राज्य किया। कर्ण की मृत्यु के बाद जैत राज ने 1258 तक राज्य किया। और 1306 तक कांकेर का राजा रहा। भानुदेव 1306 में राज बना और 1344 तक शासन किया यहा सोम वंश का अंतिम राजा था। सोम वंश की समाप्ति के बाद कण्डरा राज वंश के राजा भरमदेव ने यहां राज्य किया। उसने 1345 से 1367 तक राज किया। कण्डरा राज वंश का शासन 1385 मे समाप्त हुआ। कण्डरा राज वंश के पतन के बाद चन्द्रवंश के वीर कन्हार देव, वीर किशोर देव, तानु देव, वासुदेव, हामीर देव, रूद्रदेव, हिमांचलदेव श्यामसाए देव, हरिहरसाय देव, लालसाय देव और घुरसाएदेव, हरपालदेव, धिरजसिंह देव, रामराज सिंह, श्याम सिंह देव, ने 1802 तक शासन किया। इसके बाद यहां मराठों ने भी कुछ समय तक राज किया। इस बीच कांकेर राजय मराठो से अंग्रेजो के नियंत्रण आया। अंग्रेजों ने कांकेर की सत्ता नरहरीदेव को सौंप दी और शासन किया। सन् 1882 में कांकेर राज्य के नियंत्रण के लिए उपायुक्त रायपुर ने कांकेर का दौरा किया। नरहरीदेव ने कांकेर की प्रशासन से संबंधित एक रिर्पोट उन्हे प्रस्तुत की थी। नरहरीदेव ने बेहतर प्रशासन करते हुए पुस्तकालय राधाकिशन मंदिर रामजानकी मंदिर जगन्नाथ मंदिर और बालाजी मंदिर का निर्माण किया। कांकेर के पास उसने नरहरपुर नाम के शहर की स्थापना की थी। नरहरीदेव की दो पुत्रों की मृत्यु चौदह और सोलह वर्ष की उम्र में हो गई थी। नरहरीदेव के मृत्यु के बाद 1904 में कोमलदेव ने कांकेर का राजकाल सम्भाला। वह नरहरीदेव का भतीजा था। उसने एक अंग्रेजी हाईस्कूल और पन्द्रह प्राथमिक स्कूल कांकेर और सम्बलपुर में अस्पताल की स्थापना की थी। कांकेर के पास एक नए शहर गोविन्दपुर की स्थापना करके राजधानी बनाने का प्रयास किया था। 1925 में उसकी मृत्यु के बाद भानुप्रतापदेव राजा बने। वह कोमलदेव के रिश्तेदार थे। आजादी के बाद वे दो बार कांकेर विधान सभा क्षेत्र के विधायक चुने गए। और इनकी मृत्यु 1969 में हुई। 15 अगस्त 1969 को भानुप्रतापदेव के पुत्र उदयप्रतापदेव का राजअभिषेक किया गय के पुत्र उदयप्रतापदेव का राजअभिषेक किया गया। इनकी मृत्यु नवम्बर 2001 में हुई। 

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